मनुष्य को प्रकृति की ओर से संतुलित और सुडौल शरीर मिलता है, पर वह गलत रहन-सहन, बुरी आदत तथा खान-पान में अनियमितता के कारण इस शरीर को बेडौल बना लेता है।
ध्यान योग केंद्र के अनुसन्धान के अनुसार वैज्ञानिक रूप से मोटापा हम उसे कहते हैं जिसमें शरीर का वजन ऊँचाई के मान से अधिक होता है। निचे दिए गये वर्गीकरण से आप ज्ञात कर सकते हैं की आपका वजन उम्र के हिसाब से सही है या नहीं
भार/लंबाई अनुपात | वर्गीकरण |
---|---|
< 18.5 | कम भार |
18.5–24.9 | सामान्य भार |
25.0–29.9 | अधिक भार |
30.0–34.9 | श्रेणी-१ मोटा |
35.0–39.9 | श्रेणी-२ मोटा |
> 40.0 | श्रेणी-३ मोटा |
आधुनिक समय में मोटापा एक बीमारी के रूप में तेजी से फैल रहा है।
स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड नुट्रिशन इन द वर्ल्ड 2019 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2012 में मोटापे की दर 3 फीसदी थी, जो 2016 में बढ़कर 3.8 फीसदी हो गई। द सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, मोटे होने से व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज, कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक्स, ऑस्टियोआर्थराइटिस और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
मोटापा (अंग्रेज़ी: Obesity) वो स्थिति होती है, जब अत्यधिक शारीरिक वसा शरीर पर इस सीमा तक एकत्रित हो जाती है कि वो स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है। मोटापा बहुत से रोगों से जुड़ा हुआ है, जैसे हृदय रोग, मधुमेह, निद्रा कालीन श्वास समस्या, कई प्रकार के कैंसर और अस्थिसंध्यार्ति मोटापे का प्रमुख कारण है अत्यधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन, शारीरिक गतिविधियों का अभाव व् अनियमित दिनचर्या .
गैस बनने का एक कारण वो कार्बोहाइड्रेट हैं जो पूरी तरह पच नहीं पाते. ऐसा होता है कि छोटी आंत में मौजूद एंज़ाइम सारा खाना पचा नहीं पाते. जब कम पचा हुआ कार्बोहाइड्रेट कोलोन या मलाशय में पहुंचता है, तो बैक्टीरिया उस खाने को हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देता है. इनमें से कुछ गैस को इंसानी शरीर सोख लेता है. लेकिन जब इसका बड़ा हिस्सा मलाशय के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो जाता है और कोलोन वॉल पर दबाव बढ़ने लगता है तो पेट में दर्द महसूस होता है या फिर छाती में भी दिक्कत होती है. ऐसे में फ़ार्ट इन गैसों को शरीर से बाहर निकालने का तरीक़ा है.
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ स्कीम (NHS) की वेबसाइट के मुताबिक़ हर व्यक्ति फ़ार्ट मारता है, लेकिन कुछ दूसरों की तुलना में ज़्यादा करते हैं. आमतौर पर एक व्यक्ति दिन में 5-15 बार गैस छोड़ता है. आम तौर पर पेट की गैस गंध रहित है जब तक इसमें मीथेन ना हो। कुछ मामलों में जब गैस गुदा के माध्यम से गुजरती है तो वहां पर मौजूद बैक्टीरिया सल्फर को जोड़ लेते है जिससे गैस में गंध बढ़ जाती है।
गैस से बचना है तो :-
- डाइट को एडजस्ट करने की ज़रूरत है.
- कार्बोनेटेड बेवरेज को कम करें
- अचानक फ़ाइबर की मात्रा न बढ़ाएं
बदबूदार गैस से बचने के लिए क्या करें?
- कम-नियमित खाया जाए और चबाकर (42 times) खाया जाए
- नियमित योग अभ्यस करें
- चुइंगम ना चबाएं
- सोडा, बीयर और दूसरे कार्बोनेटेड बेवरेज भी शरीर में जाकर फ़ार्ट में बदल सकते हैं. इनमें से कुछ हवा डाइजेस्टिव ट्रैक्ट तक पहुंच जाती है और रेक्टम के ज़रिए बाहर निकल जाती है. इनके स्थान पर पानी, चाय, या जूस पियें
मोटापा कम करने के लिए ये योगासन उपयोगी हैं
- त्रिकोणासन
- कोणासन
- पशुविश्रामासन
- उत्तानपादासन
- अर्धहलासन
- पादव्रित्तासन
- पवनमुक्तासन
- द्विचक्रिकासन
- सीधा नौकासन
- उल्टा नौकासन (पेट पे लैट के करनेवाला आसन स्रिया ना करे)
- सूर्य नमस्कार
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